Sunday, 5 July 2020

दीवाना हुआ बादल

दफ़्तर में उकताया हुआ बाहर निकला तो दूर आसमान की छत पर बादलों को उमड़ता हुआ देखकर मुझे मोहन राकेश उस किताब पर लिखी हुई पंक्तिया याद हो आई जिसका शीर्षक था"आषाढ़ का एक दिन।" इत्तेफाक से यह आषाढ़ का ही एक दिन था। कोरोना के चलते सड़कों पर आवाजाही सामान्य दिनों की तुलना में कम ही थी। हालांकि सरदारशहर टैपों का शहर है जहां आदमी कम टेम्पों ज्यादा है।तापमान की बात करें तो यह देश के सबसे गर्म शहरों की फेहरिस्त में शुमार चूरू शहर का ही एक भाग है। तपते हुए रेगिस्थान में दिन आग की तरह झुलसाता है वहीं रातें बेहद ठंडी हो जाती है।आषाढ़ के दिनों में बारिश का आना बहुत बड़ी राहत की खबर होती है। आज भी गर्मी अन्य दिनों की तुलना में अधिक ही थी। मगर बादलों का सौंदर्य देखकर एक रेगिस्तानी के मन का फोटोग्राफर जाग उठा। फिर जो हुआ वो आपके सामने है।।🍁🍁🌦️