रेगिस्तानी चिट्ठियाँ

मुझे फोटोग्राफी करना बहुत पसंद है। मैं यहाँ अपनी तस्वीरों तथा रेगिस्तानी गाँवो में प्रचलित किस्सों कहानियों व अपने जीवन के अनुभवों को अपनी टूटी-फूटी भाषा के साथ साझा करने के लिए मैं यहाँ लम्बे समय के बाद उपस्थित हूँ।अपने इस ब्‍लॉग में मैं अपने जीवन के अनुभवों, पसन्दीदा कविताओं व तस्वीरों को प्रस्‍तुत कर रहा हूँ।

Tuesday, 6 April 2021

म्हारा सतगुरु आंगन आया,म्हे वारी जाउँ रे

at April 06, 2021 No comments:
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रेगिस्तानी चिट्ठियाँ
मैं उत्तरी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के एक ऐतिहासिक गाँव पल्लू का रहने वाला हूँ। मैंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने नानी के गाँव 507 हैड, छत्तरगढ़ जिला-बीकानेर से प्राप्त की तथा मेरी कॉलेज की शिक्षा मेरे गाँव में ही प्राप्त की। गाँव के अम्बिका कालेज से बी.ए एवं अँग्रेज़ी साहित्य में एम.ए किया। एक साधारण देहाती लड़का हूँ जिसने ढाणी में बचपन गुजारा। बचपन रेवड़ चराते हुए व गुलिडण्डा खेलते हुए कब बीत गया पता ही नहीं चला। जीवन के शुरुआती 15 वर्ष ढाणी(चक 1 R J D) में रहने के बाद 2011 में फिर अपने गाँव पल्लू(हनु.) वापस आ गया था। मैंने बेशक ढाणी को छोड़ दिया हो मगर ढाणी ने मुझे नहीं छोड़ा।वहाँ रहकर रेगिस्थान की किस्सों कहानियों व कुछ ऐसी ही लोक में प्रचलित कहावतों से मैं समृद्ध हुआ। मैं दगिस्थानी लेखक रसूल हमजातोव को पढ़ना पसंद करता हूँ। अगर बात हिंदी कविताओं व रिपोर्ताज की करूँ तो डॉक्टर सत्यनारायण में पसन्दीदा कवि कथाकार है जो कि लंबे समय से जोधपुर में रहते है।
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